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घड़िआली देहो निकाल / बुल्ले शाह

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घड़िआली<ref>सूचना देनी</ref> देहो निकाल नी,
अज पी घर आया लाल।

मैंनूँ आपणी खबर ना काई,
क्या जाणा मैं कित्थे गंवाई,
एह गल्ल कीकूँ छुपे छुपाई।

हुण होया फज़ल कमाल।
घड़िआली देहो निकाल।

घड़ी घड़ी घड़ेआल वजावे,
रैण वसल दी क्यों घटावे,
मेरे मन दी बात जो पावे।

हत्थों चा सुट्टे घड़ेआल।
घड़िआली देहो निकाल।

अनहद बाजा बजे शहाना,
मुतरब सुघाडाँ तान तराना,
नमाज़ रोज़ा भुल्ल ग्या दुगाना।

टूणे कामण करो सवेरे,
जादूगर आवण वड्डे वडेरे,
किवें किवें वस आया तेरे।

लक्ख बरस रह होरी नाल।
घड़िआली देहो निकाल।

साईं मुक्ख वेक्खण दे अजब नज़ारे,
दुःख दलिदर गए जो पास प्यरे,
चंगी रात वधे किवें करे पसारे

दिन अग्गे धरे देवाल।
घड़िआली देहो निकाल।

बुल्ला सहु दी सेज प्यारी,
मैं तरी सो तारनहारे तारी,
किवें किंवे हुण आईआ वरी।

मैंनूँ विछड़न थीआ मुहाल।
घड़िआली देहो निकाल।

शब्दार्थ
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