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घर / कारमेन जगलाल
Kavita Kosh से
एक घर बने अपना
जहाँ रिश्ते रिश्ते हों
जहाँ प्यार ही प्यार हो
जहाँ अपना संसार हो
जहाँ मन का सुकून हो
जहाँ खुशियों की जन्नत हो
जहाँ जिन्दगी हँसती हो
मैं जीना चाहती हूँ
ऐसे घर में।
एक घर बने अपना
जहाँ प्यार का आँचल फैला हो।
जहाँ फूलों का बगीचा हो
जहाँ बंन्धन में भी मुक्ति हो
जहाँ प्रेम की बारिश हो
जहाँ डँसने की गूँज हो
मैं जीना चाहती हूँ
ऐसे घर में।