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घर की रौनक / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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मुन्नाजी को रसगुल्लों का,
स्वाद बहुत अच्छा लगता है।
खाना गरम समोसे उसके
बाद बहुत अच्छा लगता है।

बापू गरम समोसे लाते,
सबके हृदय कमल खिल जाते।
पुड़िया खुलती रसगुल्लों की,
झूम झूम उस पर सब जाते।
अम्मा का देना बापू को,
दाद बहुत अच्छा लगता है।

जब-जब गरम जलेबी आती,
दादा कि बांछें खिल जातीं
नरम मुंगोड़े अम्माजी से,
दादी घर पर ही बनवाती।
दादाजी करते बचपन की,
याद बहुत अच्छा लगता है।

बड़े बुजुर्गों के रहने से,
घर की रौनक बनी हुई है।
एक सुरक्षा कवच बना है,
सिर पर छतरी तनी हुई है।
घर को देते मिट्टी पानी,
खाद बहुत अच्छा लगता है।

ढेरम ढेर दुआएँ हरदम,
देते रहते जेठे स्याने।
बड़ी जतन से इन्हें रखा है,
घर में बापू ने, अम्मा ने।
भरी रहे खुशियों से हरदम,
नाद बहुत अच्छा लगता है।