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घर लौटता है बुद्ध / निधि अग्रवाल
Kavita Kosh से
वह महल में नहीं जन्मा था,
न की गई थी उसके जन्म पर
कोई भविष्यवाणी।
कोढ़ी, वृद्ध और मृतक
गाय ,गौरैया और गाँव जैसे ही
सहज थे उसके लिए।
जग के दुःख उसे कभी
विचलित नहीं कर पाए।
कमाने के,
यशोधरा की एक हँसी
और पुत्र राहुल की दो किताबें ,
वह प्रतिदिन उन्हें सोता छोड़
कारखाने जाता है।
साँझ ढले
साइकिल के हैंडिल पर लटका
कुछ सब्जी भाजी,
और आस के अर्द्ध कुम्हलाए फूल,
एक बुद्ध हर शाम,
घर लौट आता है।