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घुघुआ-घू, मलेल फूल / अमरेन्द्र

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घुघुआ-घू, मलेल फूल, पढ़ोॅ बेटा का-की-कू
वन के हिन्दी मेॅ एक होय छै, टू अंगरेजी-हिन्दी दू।

अ सेॅ अयतौं बाबू कहिया, आ सेॅ आस लै जियै छी
ई सेॅ ई रं के दुक्खोॅ सेॅ मरिये जइयों तेॅ अच्छा
घुघुआ घू मलेल फूल, पढ़ोॅ बेटा का-की-कू।

क सेॅ कल्लेॅ-कल्लेॅ आबोॅ, ख सेॅ खड़ा होय लेॅ सीखोॅ
तोहरे तेॅ देखी केॅ हम्में दिन केह्नोॅ केॅ काटै छी
घुघुआ घू मलेल फूल, पढ़ोॅ बेटा का-की-कू।

ग सेॅ गेलौं तोहरोॅ बाबू तोहरोॅ ऐथैं बीजू बोॅन
च सेॅ चार महीना भेलै छ सेॅ छटपट हमरोॅ मोॅन
घुघुआ घू मलेल फूल, पढ़ोॅ बेटा का-की-कू।

ज सेॅ जाय केॅ इनरासन सेॅ लानबौं परी तोहरा लेॅॅ
त सेॅ तोहरोॅ नुन्नू-मुन्नू अइतों फिरु हमरोॅ घर मेॅ
घुघुआ घू मलेल फूल पढ़ोॅ बेटा का-की-कू।

थ सें थाब्बुक-थुब्बुक चलतौं, ध सें धरी केॅ हमरोॅ हाथ
गिरतौ-पड़तौं कैहबै हम्मेंµपा, पा, पा, पा, पा, पा
घुघुआ घू मलेल फूल पढ़ोॅ बेटा का-की-कू।

ब सें ‘बाबा आबोॅ’ जखनी करेॅ लागतौं तोहरोॅ लाल
अँचरा मेॅ आँखी केॅ राखी कानबोॅ ऐंगना-औसरा मेॅ
घुघुआ घू मलेल फूल, पढ़ोॅ बेटा का-की-कू ।

बापोॅ के पूत परापत घोड़ा, नै तेॅ कुछु कुछ थोड़म-थोड़ा
य सें योगी भेस बनाय केॅॅ छोड़ी नै जययोॅ तहूं भी
घुघुआ घू मलेल फूल, पढ़ोॅ बेटा का-की-कू ।