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घुमरइत सवाल / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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जब लरिका रही
त हमरा न बुझाईत रहे
कि काहेला केदरबा हए गरीब
आ महाराजा बाबू धनीक
काहेला केदरबा के घर
खर से छबाएल मरइया हए
त महाराजा बाबू के
टेस लाल ईंटा से बनल कोठी
काहेला केदरबा कोठी पर जाकऽ
बइठइअऽ ओरियानी में
आ सरूपबा
औरा के पेड़ तर
कोहेला ऊ खाइत हतन
तरह-तरह के पकवान
त ऊ खाईअऽ
मोटका-मोटका रोटी
नून-मिरचाई के संगे।
अइसन बहुत सवाल
जे हमरा मन में
घुमरइत रहे आई तक
ओनाहिते घुमरईत हए
लेकिन तइयो ओक्कर जबाव
न मिल पाएल ह।