घोड़ा / लुईज़ा ग्लुक / विनोद दास
घोड़ा तुम्हें क्या देता है
जो मैं तुम्हें नहीं दे सकती
जब तुम अकेले होते हो मैं तुम्हें देखती हूँ
जब तुम गौशाला के पीछे मैदान में घुड़सवारी करते हो
तुम्हारे हाथ घोड़ी के अयालों में धँसे होते हैं
तब मुझे पता चलता है कि तुम्हारी ख़ामोशी के पीछे क्या है
शादी और मेरे लिए तिरस्कार, नफ़रत फिर भी तुम चाहते हो
कि मैं तुम्हें स्पर्श करूं तुम चीख़ते हो
जैसे चीख़ती हैं वधुएँ लेकिन जब मैं तुमको देखती हूँ
कि तुम्हारी देह में बच्चे नहीं हैं
तब वहाँ क्या है
कुछ भी नहीं, मैं सोचती हूँ
सिर्फ़ जल्दी है
मेरी मृत्यु से पहले मरने की
सपने में मैं तुम्हें घोड़े पर सवार देखती हूँ
सूखे मैदानों में
फिर तुम घोड़े से उतरते हो
अन्धेरे में तुम्हारी कोई परछाईं नहीं है
हालाँकि मुझे लगता है कि मेरी तरफ़ आ रही है
चूँकि अन्धेरे में वे कहीं भी जा सकती हैं
वे अपनी मर्ज़ी की मालिक हैं
मेरी तरफ़ देखो
तुम समझते हो
कि मैं नही समझती
जानवर क्या है
क्या वह इस ज़िन्दगी का रास्ता नहीं है
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास
और लीजिए, अब पढ़िए अँग्रेज़ी में मूल कविता
Louise Glück
Horse
What does the horse give you
That I cannot give you?
I watch you when you are alone,
When you ride into the field behind the dairy,
Your hands buried in the mare's
Dark mane.
Then I know what lies behind your silence:
Scorn, hatred of me, of marriage. Still,
You want me to touch you; you cry out
As brides cry, but when I look at you I see
There are no children in your body.
Then what is there?
Nothing, I think. Only haste
To die before I die.
In a dream, I watched you ride the horse
Over the dry fields and then
Dismount: you two walked together;
In the dark, you had no shadows.
But I felt them coming toward me
Since at night they go anywhere,
They are their own masters.
Look at me. You think I don't understand?
What is the animal
If not passage out of this life?