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चक्कर / बालकृष्ण गर्ग
Kavita Kosh से
गरमी में जब मिलीं छुट्टियाँ
डेढ़ माह की पूरी,
चूहे जी तब बड़ी शान से
पहुँच गए मंसूरी।
‘माल रोड’ पर हुई अचानक
मौसी जी से टक्कर,
गिरकर वे बेहोश हो गए,
आया ऐसा चक्कर।
[धर्मयुग, 11 मई 1975]