भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चन्दरमा निरमळई रात / निमाड़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

चन्दरमा निरमळई रात,
तारो कँवऽ उँगसे?
तारो ऊँगसे पाछली रात,
पड़ोसेण जागसे जी।।
धमकसे मही केरी माट,
धमकसे घट्टीलो जी,
ईराजी घर आवसे,
रनुनाई खऽ आरती जी।।