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चमत्कार / रामकृष्‍ण पांडेय

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भाई, राम‍आसरे
एक दिन और बीत गया

न झुके, न टूटे
मेहनत की, मज़दूरी ली
अब आ रही है सुगन्ध
चूल्हे पर पकती रोटी की

सब प्रभु की माया है
उसका ही चमत्कार है
ज़िन्दगी से आदमी जीत गया

भाई, राम‍आसरे
एक दिन और बीत गया