राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घर आने पर गाया जाने वाला गीत
मारी लाडली रा ऊबा दूखे पांव, थे करो न सवासणा आरत्यो जी,
थांका आरतड़या म रूपिया मेलू रोकड़ी, थे तो करो न जवाई सा आरत्यो
नोट- सवासणा की जगह जवाई के नाम बोल कर गीत बढ़ाएं।
घर आने पर गाया जाने वाला गीत
मारी लाडली रा ऊबा दूखे पांव, थे करो न सवासणा आरत्यो जी,
थांका आरतड़या म रूपिया मेलू रोकड़ी, थे तो करो न जवाई सा आरत्यो
नोट- सवासणा की जगह जवाई के नाम बोल कर गीत बढ़ाएं।