भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चाचा नेहरू के गुलाब! / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
ओ चाचा नेहरू के गुलाब,
तुम कितने किस्मत वाले थे।
रहते थे उनके पास सदा,
तुम तो थे उन खास अदा,
चाचा नेहरू की सजधज में
तुम सब से अलग निराले थे।
जो उन्हें देखते रहते थे,
वे तुम्हें देखते रहते थे।
नेहरू जी तुम्हें सजाए थे,
तुम उनकी महक संभाले थे।