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चाट वाला / विनोदचंद्र पांडेय 'विनोद'

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आ गया, चाट वाला आया।
ले आया आलू की टिकिया
काबुली मटर बढ़िया-बढ़िया,
है लिए बताशे पानी के,
झट मुँह में पानी भर आया।

बेचता समोसे गरम-गरम,
रखे हैं खस्ते नरम-नरम,
पपड़ी है कितनी मजे़दार,
है स्वाद पकौड़ी का भाया।

प्यारे-प्यारे हैं दही-बड़े,
हैं सभी खा रहे खड़े-खड़े,
हैं छोले और भटूरे भी,
आ गया मजा जिसने खाया!

-साभार: आओ गाएं गीत, सं. श्यामसिंह ‘शशि’, 1996