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चार माह बीत गए / हो ची मिन्ह

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’कारागार का एक दिन लगता है हज़्ज़ारों बरसों जैसा लम्बा’
बेशक ! कितने सही थे पुरखे
चार माह के ही अमानवीय जीवन ने जैसे
बुढा दिया दस बरस बेसी मुझको उमर में

बेशक !

पिछले चार माह गुज़ारे मैंने नाममात्र के खाने पर
पिछले चार माह मैं सो न सका गहरी नींद एक रोज़
पिछले चार माह बदले नहीं कपड़े मैंने
पिछले चार माह में डुबकी न लगा पाया एक

इसीलिए

गिर गया है एक दाँत
पक गए अधिकतर बाल
खुजाता है रोम-रोम
करिया सुकटा हुआ मैं भूखे प्रेत-सा

सौभाग्यवश

जिद्दी और सहेजू मैं
डिगा न एक इंच भी
भुगत रहा हूँ तन से
कसमसाएगी नहीं किन्तु कभी आत्मा मेरी।