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चारों ओर छा गई बसंती / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
चारों ओर छा गई बंसती रंग होली है,
फागुनी बयार में सुखद उमंग होली है।
गाँव में सगर सभी सेमर पलाश खिल गये
विरह मन को मीत की रही तलाश मिल गये,
वातावरण में मिल गया अजीब भंग होली है।
फागुनी बयार में सुखद उमंग होली है।
रंग व गुलाल से आकाश लाल हो गया,
कजरारे नैन बीच कुछ कमाल हो गया,
कोयल की कूक से मादक तरंग होली है।
फागुनी बयार में सुखद उमंग होली है।
मिलन-गीत गा रहा पपीहा बार-बार है,
बज रहे ढोलक, मजीरा और सितार है,
हुलस रहा यौवन का अंग-अंग होली है।
फागुनी बयार में सुखद उमंग होली है।
ना तो जाति सम्प्रदाय का यहाँ सवाल है,
एकता की भावना यह पर्व बेमिसाल है,
प्रतीक्षा के पाहुन सपना पलंग होली है।
फागुनी बयार में सुखद उमंग होली है।