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चिंगारी कोई भड़के / आनंद बख़्शी

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चिंगारी कोई भड़के, तो सावन उसे बुझाए
सावन जो अगन लगाए, उसे कौन बुझाए
ओ... उसे कौन बुझाए

पतझड़ जो बाग उजाड़े, वो बाग बहार खिलाए
जो बाग बहार में उजड़े, उसे कौन खिलाए
ओ... उसे कौन खिलाए

हमसे मत पूछो कैसे, मन्दिर टूटा सपनों का
हमसे मत पूछो कैसे, ्मन्दिर टूटा सपनों का
लोगों की बात नहीं है, ये क़िस्सा है अपनों का
कोई दुश्मन ठेस लगाए, तो मीत जिया बहलाए
मन मीत जो घाव लगाए, उसे कौन मिटाए

न जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
न जाने क्या हो जाता, जाने हम क्या कर जाते
पीते हैं तो ज़िन्दा हैं, न पीते तो मर जाते
दुनिया जो प्यासा रखे, तो मदिरा प्यास बुझाए
मदिरा जो प्यास लगाये, उसे कौन बुझाए
ओ... उसे कौन बुझाए

माना तूफ़ाँ के आगे, नहीं चलता ज़ोर किसीका
माना तूफ़ाँ के आगे, नहीं चलता ज़ोर किसीका
मौजों का दोष नहीं है, ये दोष है और किसी का
मझधार में नैया डोले, तो माझी पार लगाए
माझी जो नाव डुबोये, उसे कौन बचाए
ओ... उसे कौन बचाए

चिंगारी ...