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चिंतित सदी / रमेश ऋतंभर
Kavita Kosh से
डाल पर बैठी चिड़िया
सोच रही है
पेड़ के बारे में
उदास तितली
सोच रही है
फूल के बारे में
बुढ़िया अम्मा
सोच रही है
चाँद के बारे में
मेरी नन्ही बिटिया सोच रही है
गुड्डे के बारे में
और मैं सोच रहा हूँ
अपनी पृथ्वी के बारे में
भोली-सी पृथ्वी के बारे में
जिसे वह उछाल रहे हैं
अपनी हथेलियों पर गेंद के समान!