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चिठ्ठयों क गडोळा सौं करारू कि कटखळी / ओम बधानी

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चिठ्ठयों क गडोळा सौं करारू कि कटखळी
जिन्दग्यो हिसाब लगाई त हासिल यूई पाई
तेरि चिठ्ठयों क गडोळा सौं करारू कि कटगळी

आंख्यून धुपाणू लगाई,बाजु प्रेम कु बाजू बजाई
मन क आसण औतरी, न्यूरू चैगस बताई
अफ्फु तु बार चलिगे,बेर परचा कि आई
त हासिल यु पाई
तेरि चिठ्ठयों क गडोळा सौं करारू कि कटगळी

मैन जमूण बणिक माया कु तुरसै जमाई
नेतण परेड़ु बणी स्य माया छांछ बणाई
खपी ख्यैई हेसी जब नौण खुजाई
त हासिल यु पाई
तेरि चिठ्ठयों क गडोळा सौं करारू कि कटगळी

मन अगेलू झरकाई प्रेम अगन लगाई
जब बणाग बणिगे सुरक छांटी ह्वै ग्याई
भरमणा कु धुवां आज सकी छंट्याई
त हासिल यु पाई
तेरि चिठ्ठयों क गडोळा सौं करारू कि कटगळी

अंजुळ्यौं कु पाणि सि उमर मठु-मठु छिरकी ग्याई
आज खौळ्यै गयौं अंजुळ खालि जु पाई
नफा नुगसान की आज गण्त लगाई
त हासिल यु पाई
तेरि चिठ्ठयों क गडोळा सौं करारू कि कटगळी