भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चिड़िया / अनुभूति गुप्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चीं-चीं, चीं-चीं, चीं-चीं चीं-चीं,
चिड़िया हमसे कहती है,
अपने नीड़ सलोने में वो
बच्चों के सँग रहती है।
दाना-दुनका चुनकर चिड़िया,
पास हमारे आयेगी।
बड़े चाव से बच्चों को वह,
चुग्गा खूब खिलायेगी।