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चिड़ियाँ की आँखों में / हरीशचन्द्र पाण्डे
Kavita Kosh से
चिड़िया चहक रही है
हमारे चहकने की सहóाब्दियाँ गूँज उठी हैं
चिड़िया की चोंच में एक तिनका है
हमें अपना पहला बसेरा जुगाड़ता आदमी
दिखाई दे रहा है
चिड़िया फुदक रही है
डाल पर दीवार पर आँगन में
चिड़िया पर फैलाये फुर्र-से ओझल हो गयी है...
एक यान आकाश नापने के बाद
लौटता दिख रहा है
जैसे चिड़िया लौट रही हो
आदमी किसने बनाया आदिम को
यह इतिहास
चिड़िया की आँखों में पढ़ा जा सकता है