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चिड़ै / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
चिड़ै
धरतीसँ अकास
आ फेर
अकाससँ धरती धरि
करइए
बेर-बेर
परिभ्रमण
गबइए
गीत
नचइए
घेंट जोड़ि
आ करइए
हँसी-ठट्ठा
सखी-बहिनपाक संग।
चिड़ै
बहेलियाक नजरि
ओकर ओछाओल जाल
आ तीरसँ बचि कऽ
अपन-अपन
घर-आँगन घुरि
अबइए
देर-सबेर।