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चिह्न मूल कुमाउनी कविता / नवीन जोशी ’नवेंदु’
Kavita Kosh से
चिह्न (मूल कुमाउनी कविता)
मूल कुमाउनी कविता :
आजा्क अखबारों में छन खबर
आतंकवाद, हत्या, अपहरण,
चोर-मार, लूट-पाट, बलात्कार
ठुल हर्फन में
अर ना्न हर्फन में
सतसंग, भलाइ, परोपकार।
य छु पछ्यांण
आइ न है रय धुप्प अन्या्र
य न्है, सब तिर बची जांणौ्क निसांण
य छु-आ्जि मस्त
बचियक चिनांड़।
किलैकि ठुल हर्फन में
छपनीं समाचार
अर ना्न हर्फन में-लोकाचार।
य ठीक छु बात
समाचार बणनईं लोकाचार
अर लोकाचार-समाचार।
जसी जाग्श्यरा्क जागनाथज्यूक
हातक द्यू
ऊंणौ तलि हुं।
संचि छु हो,
उरी रौ द्यो,
पर आ्इ लै छु बखत।
जदिन समाचार है जा्ल पुररै लोकाचार
और लोकाचार छपा्ल ठुल हर्फन में
भगबान करों
झन आवो उ दिन कब्भै।