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चुनू / धनेश कोठारी
Kavita Kosh से
हे जी!
अब/ चुनौ कू बग्त
औंण वाळु च
तुमन् कै जिताण
अरेऽ
अबारि दां मिन
अफ्वी खड़ु ह्वेक
सबूं फरैं
चुनू लगाण।