भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चुमावत हो ललना धीरे धीरे / अंगिका लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
इस गीत में दुलहे को चुमाने, आरती उतारने और सलहज द्वारा आनंदमग्न होकर गाल सेॅकने का उल्लेख है। विवाह के पूर्व ‘गलसेॅकी’ की विधि लोक-प्रचलित है।
चुमावत<ref>चुमाती</ref> हो ललना धीरे धीरे।
कंचन थार कपूर के बाती, सखी सब लेल घुमावत<ref>घुमाती</ref> हे॥
धीरे धीरे सरहज<ref>सलहज; साले की पत्नी, श्यालजाया</ref> ऐलै महल सेॅ, दौरी दौरी<ref>दौड़-दौड़कर</ref> बिछिया<ref>पैर का एक आभूषण</ref> बजाबत<ref>बजाती है</ref> हे।
ललना धीरे धीरे॥2॥
परेम सहित सेॅकि सेॅकि कपोलन<ref>विवाह के समय पान, लोढ़े आदि से दुलहे के गाल को सेॅकने की एक लौकिक विधि</ref>, रिझावत हो ललना धीरे धीरे।
चुमावत हो ललना धीरे धीरे॥3॥
शब्दार्थ
<references/>