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चूयै छै लोर / कस्तूरी झा 'कोकिल'
Kavita Kosh से
तोहेें गेलहॅ आगू सें
बड़की भौजी पाछू सें।
दोनहूऽ मोॅन मिलैनें छे
हमारा खूब भूलै नेॅ छे
भैया पहिनेॅ गेले छै
तोहें कैहिया मिलभौ जी?
पता ठिकानोॅ कहभौ जी?
आइयै खौर छिकै भौजी केॅ
आइयै अदरा अयलौ छै।
धूप छाऽह खेलै छै बदरा
सुरुज कहीं नुकैल छै।
केश कटाय केॅ बैठलेॅ छी
छटपटाय केॅ उठलेॅ छी।
मौॅन उछीनों लागै छै।
भौजी ले पछताबै छै
तन बीमार छै, मन बिह्वल
दिल में उठलोॅ छै हलचल,
भौजी कत्ते मानै छेलै,
आबैखनीं कानै छे लै।
जब-जब जैबे हम्में गाँव
नैं मिलतै भौजी केॅ पाँव।
जल्दी जलखै देते केॅ?
कखनी चल्लौह पूछतै केॅ।
याद करो केॅ चूयैलोर
रात दुपहिरया, साँझें भोर।
मार्च महीना भेलै भेंट,
जून महीना मटिया मेंट।
22/06/15 बड़की भौजी केॅ क्षौर कर्म दूपहर - 2.45 बजे