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चोली फटी सरस सरसों की / केदारनाथ अग्रवाल

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चोली फटी सरस सरसों की

नीचे गिरा फागुनी लहंगा,

ऊपर उड़ी चुनरिया नीली,

देखो हुई पहाड़ी विवसन

आतप-तप्ता ।