चौबीस / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह
चैत हे सखी घाँटो घटेसर, तोता माली को तवाल हे
कुम्हरा चाको के, चौबीस पिन्डी, सत्तू गुड़ भोग मुन्ड माल हे।
बैसाख हे सखी बूँट गँहूम चिकना, चूनी चानी सैंतावै हे
लारन पर लारन पड़ै, भुट्टा छोड़ावै, घाँटो भर थरिया सुरकावै हे।
जेठ हे सखी गंगा दसहरा, भक्ति के डुबकी लगाबो हे
आम लीची पूजी गंगा, मैया अँचरवा, रीति के प्रीति निभाबो हे।
अषाढ़ हे सखी सुन्दर सरोवर, पंछी करै छै चहकार हे।
भौंरा कमलिनी बीच, बैठै नुकाय केॅ, तितली उड़ै छै हजार हे।
सावन हे सखी बरसै फुहरिया, चुन्दरी मेॅ सुन्दरी सकुचाय हे
झिंगुरी झनकै, दादुरी ठुनकै, पपीहा मयूर मुसकाय हे।
भादो हे सखी लहरो के धार मिली, गावै पिरितिया के गान हे
बैठी केॅ ठोरा ठोरी, हंसा हंसिनी जोडी, सुख दुख के छेड़ै तान हे।
आसिन हे सखी नित्य स्वरूपा, योगिनी सुधा ईश्वरी
महाविद्या महामेधा, महामोह स्वरूपा, स्वाहा संहारी आसुरी।
कातिक हे सखी दीया दीपहरो, रूइया बाती तेल हे
कीड़ा फतिंगा, दीया राशि सेॅ, मेलो परेमो के खेल हे।
अगहन हे सखी प्रेम मगन मन, माटी बिछौना मन मचान हे
सब केरो राज खोलै, ऊँचीयो बोली बोलै, जेरो बान्ही केॅ किसन हे।
पूस हे सखी नाद तिनछिया, गैया बथान काली थान हे
कोन्टा ओहारी, तुलसी दुआरी, कुइयाँ गोसाँय तिल दान हे।
माघ हे सखी मंदार धारण, कच्छप रूपो मेॅ भगवान हे
पीवी हलाहल, कल्याण कारक, नीलकंठ अभय दान हे।
फागुन हे सखी बसन्ती वाण साधै, शिव के खुलै त्रिनेत्र हे
कामदेव भसम रति, नैना बदरिया, व्यापै मदन बिनु देह हे।