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छवि / सत्यपाल सहगल
Kavita Kosh से
तुम्हारी स्मृति रहेगी सिर्फ एक स्त्री की तरह
अगले आठ या दस हज़ार दिन
एक चेहरा सामने रहेगा
यो जुड़ता जाएगा
दूसरी जगहों से बीनी गई चीज़ों के साथ
एक दिन इस चेहरे की उम्र समाप्त होगी
एक दिन यह सम्पत्ति भी गल जायेगी