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छेकड़ कैवणो ई पड़ियो / सांवर दइया
Kavita Kosh से
ओळभा देवती आई आंधी
आछै-आछां रा
माजना भांडिया
जडां समेत उखाड़
चित नाख्या
आ देख
रहीज्यो कोनी
दूब सूं
छेकड़ कैवणो ई पड़ियो-
कांई करै तो कर लै खांगी
हे देख, आ ऊभी म्हैं ।