भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छोटा भैया / बालस्वरूप राही
Kavita Kosh से
मेरा नन्हा-मुन्ना भैया
नहीं किसी से डरता है
ताली अगर बजता हूँ मैं
आंखे मीच-मिच करता है।
मम्मी उसे बैठा गोदी में।
नंगा कर नहलाती है।
बुद्धू नहीं जानता ऐसे
'शेम-शेम' हो जाती है।