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छोटी-छोटी बकरी / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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छोटी-छोटी बकरी
छोटी–छोटी गैया ।
गैया चराए मेरे
छोटे कन्हैया ।
छोटे-छोटे हाथ
छोटे-छोटे पाँव
ठुमक-ठुमक जाए
गोरी के गाँव ।
आँखों में दिखता
है आसमान ।
पतले –से होठों पे
छाई मुस्कान ।
किलक-किलक में
सारे गुणगान
तुतली-सी बोली में
छिपे भगवान ।