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छोटी मछली बड़ी मछली / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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छोटी-सी एक मछली थी,
पानी में वह रहती थी।
उसकी कई सहेली थी,
साथ-साथ सब खेली थी।
एक दिन मोटी मछली आई,
मानो सबकी आफत आई।
कुछ को खाकर चट कर गई,
मोटी अपना पेट भर गई।

छोटी मछली वहाँ नहीं थी,
किसी काम से चली गई थी।
जब वह वापस घर को आई,
चीखी और बहुर चिल्लाई।

फिर उसने कुछ साहस करके,
मन में थोड़ा धीरज धरके।
कहा-सभी मिल कर तुम आओ,
डरो नहीं अन्याय मिटाओ।

रही संगठित एक बनो तुम,
सुख में, दु: ख में साथ रहो तुम।
तो यह अत्याचार न होगा,
सारा जीवन सुखमय होगा।

वैसा ही फिर किया सभी ने,
सुन्दर जीवन जिया सभी ने।