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छोटी सी बिंदिया (तीन क्षणिकाएँ) / महावीर शर्मा
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एक.
अलसाये नयनों में निंदिया, भावों के झुरमुट मचलाए
घूंघट से मुख को जब खोला, आंखों का अंजन इतराए
फूल पर जैसे शबनम चमके, दुलहन के माथे पर बिंदिया।
मुस्काए माथे पर बिंदिया।
दो.
तबले पर ता थइ ता थैया, पांव में घुंघरू यौवन छलके
मुजरे में नोटों की वर्षा, बार बार ही आंचल ढलके
माथे से पांव पर गिर कर, उलझ गई घुंघरू में बिंदिया
सिसक उठी छोटी सी बिंदिया !
तीन.
दूर दूर तक हिम फैली थी, क्षोभ नहीं था किंचित मन में
गर्व से ‘जय भारत’ गुञ्जारा, गोली पार लगी थी तन में
सूनी हो गई मांग प्रिया की, बिछड़ गई माथे से बिंदिया।
छोड़ गई कुछ यादें बिंदिया।