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छोटी सी साध / प्रमोद कुमार शर्मा
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आ छोटी सी साध
साध सकै तो साध !
मात !
तूं है जननी जग री !
ऐ के मांडूं हूं ओळयां
माटी री डोळयां
अरथ आं मांय सोधूं
नी लाधै पंपोळया !
तूं आं नै अरथा दे
कविता कांई है ?
फगत ओ बता दे।
आ छोटी सी साध
साध सकै तो साध !
मात !
तूं है जननी जग री !