भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोटे-बड़े / लोग ही चुनेंगे रंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


तारे नहीं जानते ग्रहों में कितनी जटिल जीवनधारा.
आकाशगंगा को नहीं पता भगीरथ का इतिहास वर्तमान.
चल रहा बहुत कुछ हमारी कोषिकाओं में हमें नहीं पता.

अलग-अलग सूक्ष्म दिखता जो संसार
उसके टुकड़ों में भी है प्यार
उनका भी एक दूसरे पर असीमित अधिकार

जो बड़े हैं
नहीं दिखता उन्हें छोटों का जटिल संसार

छोटे दिखनेवालों का भी होता बड़ा घरबार
छोटी नहीं भावनाएँ, तकलीफें
छोटे नहीं होते सपने.

कविता,विज्ञान,सृजन,प्यार
कौन है क्या है वह अपरम्पार
छोटे-बड़े हर जटिल का अहसास
सुन्दर शिव सत्य ही बार बार.