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जंगल में कूलर / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
बाहर चलती लू, पर भीतर
कूलर की है हवा सुहानी,
कुक्कू सोच रहा था मन में
है कैसा जादू लासानी!
फिर बोला, नानी, ओ नानी
कूलर की है हवा सुहानी,
सारी गरमी हुई उड़न-छू
है ना नानी, प्यारी नानी?
पर नानी जंगल में रहते
मोर, हिरन या भालू-हाथी,
गरमी इनको लगती होगी
क्या करते होंगे ये साथी?
एक बड़ा-सा कूलर नानी
जंगल में मिलकर लगवाएँ,
शेर, हिरन या भालू-हाथी
खुश हो नाचें, ठंडक पाएँ।
नानी बोली, जंगल में है
पेड़ों की हरियाली चादर,
जंगल को ठंडा रखता है
सबसे बड़ा वही एक कूलर।
पेड़ लगाएँ अगर ढेर से
सारी धरती शीतल होगी,
लोग रहेंगे खुश-खुश हरदम
नहीं रहेगा कोई रोगी।