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जखम दिलोॅ के / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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					जखम दिलोॅ के बहुते जे छिपैलियै हम्में,
वहेॅ गजल आय लिखी सुनैलियै हम्में।
चानोॅ के जबेॅ भी चमकतें देखनें छियै,
तोरे मुँहोॅ के झलक पैनें छियै हम्में।
जेनां कानै छै पावस एकदम होयकेॅ अकेलोॅ,
लोर होनें केॅ चुपचाप बहैनें छियै हम्में।
यै दुखोॅ सें पार उतारेॅ कहाँ मिलै छै कोय,
दरदे एैन्हों गजब पैनें छियै हम्में ।
 
	
	

