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जड़ें जमाओ! / यतींद्रनाथ राही

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पत्थर फेक
लहर गिनते हो
यों मत नाहक
समय गँवाओ

समय किसे है
बतियाने का
कौन गीत सुनने आता है
जिसके स्वार्थ जहाँ सधते हैं
वह उस ओर चला जाता है
सींग तुम्हारे भी धँसते हों
तो मत चूका
जड़ें जमाओ!

सब थोथी बातें हैं जग को
गीत-ग़ज़ल हो
कविता अविता
समय काटना
मगज़ खपाना
अर्थ-लाभ बिन क्या उद्यमिता?
सीधी सड़क
पकड़ लो ढंग की
कुछ रोटी की जुगत जुटाओ!

गिनी चुनी
दस रचनाएँ भी
बहुत कमाने खाने को हैं
पढ़ने को साहित्य तुम्हारा
कितना समय ज़माने को है?
बीज मन्त्र बाँधो मुट्ठी में
और मंच पर
चढ़कर छाओ!
29.9.2017