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जनतंत्र / बिंदु कुमारी
Kavita Kosh से
झारखण्ड मेॅ जनतंत्र
एक एहिनोॅ तमाशा छै
बिकै झिलेबी-बताशा छै
जेकरोॅ जान-
मदारी के भाषा छै।
मतुर कि हम्मेॅ जानै छियै
हमरोॅ राज्य रोॅ समाजवाद
माल गोदाम मेॅ लटकलौ होलोॅ
ऊ बाल्टि जुंगा छै
जेकरा पेॅ आग लिखलोॅ रहै छै
आरो होकरा मेॅ पानी, बालू भरलोॅ रहै छै।
झारखण्ड रोॅ विधान सभा
तेल रोॅ ऊ घानी छेकै
जेकरा मेॅ आधोॅ तेल छै
आरो आधोॅ पानी छै।
नेतां सीनी मनाबै छै
गाँधी जी रोॅ बरस गॉव
सब दल रोॅ नेतासीनी
करै छै साँठ-गाँठ
गाँधीजी सेॅ के छै बढ़लोॅ
एक मिनट के राखोॅ मौन।