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जब एँगना में ऐलै धूप / दिनेश बाबा

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जब एँगना में ऐलै धूप
निखरी उठलै घर के रूप
ओस कनो में चमकै छै
छपरी पर पटुबैलो धूप
करकै खूब ईंजोर कोठरी
ओसरा पर छिरियैली धूप
गाछी केरोॅ फुलंगी ताँय
छै सगरो विखरैलो धूप
भिन्नी लागै खूब सुहानों
कन कन में ओझरैलोॅ धूप
छित्ती-बित्ती लगै दुफरिया
पर सँझकी मरूवैलो धूप