भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जब कभी उनको उघाड़ा जाएगा / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
Kavita Kosh से
जब कभी उनको उघाड़ा जाएगा
हर दफ़ा हमको लताड़ा जाएगा
जो नहीं रुकते किसी तरह उन्हें
ऐसा लगता है कि गाड़ा जाएगा
पीपलों की पौध ढूँढी जाएगी
फिर उन्हें जड़ से उखाड़ा जाएगा
झूठ को आबाद करने के लिए
हर हक़ीक़त को उजाड़ा जाएगा
हम गुफ़ाओं को ग़नीमत मान लें
इस क़दर मौसम बिगाड़ा जाएगा.