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जब खिली रातरानी ये क्या हो गया / कल्पना 'मनोरमा'

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जब खिली रातरानी ये क्या हो गया।
आ गया क्रूर माली , ये क्या हो गया।

मंजिलों का पता पूछने की सजा,
मिल रही मुझको गाली,ये क्या हो गया|

जिंदगी सिलवटों में उलझती हुई ,
बन गई इक कहानी,ये क्या हो गया।

रोटियों से कोई खेलता, है कोई-
सो रहा पेट ख़ाली,ये क्या हो गया।

पहले रोका नहीं, सोचा मासूम हैं
बन गए अब मवाली,ये क्या हो गया।

ढोल में पोल सबकी दिखे कल्प से
सारी दुनियाँ सवाली,ये क्या हो गया।