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जब पैठ कियो / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जब पैठ किया
पैठ किया हनुमाना रे लंका पैठ कियो हनुमाना

यहाँ से गए फुलवारी में बैठे माता जी से अरज करत हैं
मनमाने फल खाए भला हो मनमाने फल खाए
वृक्ष उखाड़ समुद्र में डारे
तहियो मरम नहीं जाना रे लंका पैठ किया हनुमाना