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जब भी मिलन हो तुम्हें / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
जब भी मिलना हो तुम्हें दिलदार से।
बात भी करना बहुत ही प्यार से।
काम लेता मैं क़लम से हूँ वही,
हो नहीं सकता है जो तलवार से।
हर तरफ़ बदनाम तुम हो जाओगे,
राज़ दिल का लो छुपा अख़बार से।
नाव को साहिल लगाना है अगर,
दुश्मनी करना नहीं पतवार से।
देख लो क्या हो रहा है हर तरफ़,
दिल नहीं लगता है अब संसार से।
आख़िरी सन्देश है ‘प्रभात’ का,
दुश्मनों को मात दो किरदार से।