भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जबारि मिन बोली / नरेन्द्र कठैत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जबारि मिन बोली-
कुछ पौढ़ ली, कुछ पौढ़ ली
स्यू लुकणू रै .

जबारि मिन बोली
कुछ कौर ली, कुछ कौर ली
स्यू घुमणू रै .

अब -
नौना बाळौं कि
फौज फटाक
अफू बेकार
अर मेकु ब्वनू
त्वेन कुछ नि कै ।