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जबै सीता चललनि बाबा मिलन करे / अंगिका लोकगीत
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
प्रस्तुत गीत में ससुराल जाते समय बेटी द्वारा अपने परिवार के सभी लोगों तथा सखी-सहेलियों से क्षमा-याचना करने का उल्लेख है।
जबै सीता चललनि बाबा मिलन करे, सुनु बाबा बचन हमार जी।
कहल सुनल बाबा मनहिं में रखिहऽ, अब सीता जाय छै<ref>जा रही है</ref> ससुरार जी॥1॥
जबे सीता चललनि अम्माँ मिलन करे, सुनु अम्माँ बचन हमार जी।
कहल सुनल अम्माँ मनहिं में राखब, अबे सीता जाय छै ससुरार जी॥2॥
जबे सीता चललनि भैया मिलन केर, सुनु भैया बचन हमार जी।
कहल सुनल भैया मनहिं में रखिहो, आबे सीता चललनि ससुरार जी॥3॥
जबे जीता चचलनि सखी सेॅ मिलन करे, सुनु सखि बचन हमार जी।
कहल सुनल सखि मनहं में राखब, अबे सीता चललनि ससुरार जी॥4॥
शब्दार्थ
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