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जहाँ पे हम और तू / राज रामदास

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जहाँ पे
हम और तू
मिलत रहली
हुँआ
अब एगो दारू के दुकान है

पास जब होइला
तब मद्धिम चिराग में
मद्धिम आवाज में
बोल बात सुना है
कभी
नसेढ़ो के गीत भी

आम के पेड़ जौन रहा
उ तो कब्बे ना कटाइ गे

हबड़वा में
जौन छोटी के घरवा रहा
अब खाली है
ओकर रंग छूटगे
भला
इ सब बात
तू जानत होइए।