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जाते हैं हम नैनीताल / प्रकाश मनु
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टन-टन, टन-टन टेलीफोन,
चूहे बोले-हैलो, कौन?
बिल्ली बोली-मैं हूँ मौसी,
गई हुई थी मैं चंदौसी,
चूहे खाना छोड़ दिया है,
जीवन अपना बदल लिया है।
अब तो अच्छे काम करूँगी,
नहीं तुम्हारे प्राण हरूँगी।
तुमको जीवन-कथा बताने,
क्या आ जाऊँ कुछ समझाने?
चूहे बोले-वाह, क्या कहना!
मौसी, थोड़ी देर ठहरना!
जब बिल्ली चुपके से आई,
तख्ती एक टँगी थी पाई-
नहीं चलेगी मौसी, चाल
जाते हैं हम नैनीताल!