भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जिंदगी को जुबान दे देंगे / कविता किरण
Kavita Kosh से
जिंदगी को जुबान दे देंगे
धडकनों की कमान दे देंगे
हम तो मालिक हैं अपनी मर्ज़ी के
जी में आया तो जान दे देंगे
रखते हैं वो असर दुआओं में
हौसले को उड़ान दे देंगे
जो है सहमी पड़ी समंदर में
उस लहर को उफान दे देंगे
जिनको ज़र्रा नही मयस्सर है
उनको पूरा जहान दे देंगे
करके मस्जिद में आरती-पूजा
मंदिरों से अजान दे देंगे
मौत आती 'किरण' है आ जाए
तेरे हक में बयान दे देंगे