भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिंदगी हँस कर बिताना चाहिये / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिंदगी हँसकर बिताना चाहिए
खूबसूरत इक बहाना चाहिए

हो गये कितने अकेले रास्ते
साथ फिर कोई सुहाना चाहिए

ग़र जिये अपने लिये तो क्या जिये
दूसरों को साथ लाना चाहिए

दूर बेहद चाँद है तो क्या हुआ
ख़्वाब आंखों में सजाना चाहिए

भूल अपनी जो नहीं समझे कभी
आईना उनको दिखाना चाहिए

जब चमन में हों बहारें आ गयीं
पंछियों को चहचहाना चाहिए

दूर है मंजिल हज़ारों मुश्किलें
अपनी हिम्मत आजमाना चाहिए